इन लक्षणों से हमेशा रहे सावधान, यह लक्षण लंग कैंसर के हो सकते हैं,शुरुआत में बचाई जा सकती है जान
भारत का नंबर उन देशो में आता है जहाँ कैंसर जैसी बीमारी के मामले ज़्यादा देखने को मिलते हैं कैंसर के होने से पहले कुछ संकेत शरीर बनाते लगता है जो इस प्रकार देखे जा सकते हैं आपको अगर कई महीनों से खांसी हो रही है और साथ ही सीने में दर्द भी बना हुआ है या खांसने पर मुंह से खून आ रहा है या आप का वज़न तेज़ी से गिर रहा है तो सावधान हो जाएं, फेफड़ों के कैंसर में भी ऐसे लक्षण नजर आते हैं।
जी हां, फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण काफी सामान्य होते हैं, जो सामान्य सर्दी की तरह दिखते हैं, जिसके कारण शुरुआती चरण में इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे सामान्य लक्षणों को देखकर हम आमतौर पर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं और ट्यूमर तेजी से फेफड़ों से पूरे शरीर में फैलने लगता है और आप कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।हेल्थलाइन के मुताबिक, अगर फेफड़ों के कैंसर की पहचान शुरुआती दौर में हो जाए तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
लेकिन मुश्किल यह है कि पहली स्टेज में फेफड़ों के कैंसर का कोई खास लक्षण नजर नहीं आता है। जिसके कारण इसकी पहचान करने में देरी होती है और तब तक कैंसर फैल चुका होता है।पहले चरण में सांस लेने में तकलीफ, पीठ दर्द, खांसी, कफ के साथ खून आना, गहरी सांस लेने पर सीने में दर्द महसूस होना, भूख न लगना, तेजी से वजन कम होना, श्वसन तंत्र में संक्रमण आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
अधिकांश फेफड़ों के कैंसर रोगियों को गर्दन या कॉलर की हड्डी में गांठ, हड्डी में दर्द, विशेष रूप से पीठ, पसलियों या कूल्हों में दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना, लड़खड़ाहट, हाथ या पैर, त्वचा में सुन्नता और आंखों में पीलापन यानी पीलिया, पलकों का गिरना, का अनुभव होता है। पुतलियों का सिकुड़ना, चेहरे के एक तरफ पसीना आना, कंधे में दर्द, चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्से में सूजन आदि लक्षण के रूप में देखे जाते हैं।
फेफड़ों का कैंसर कई तरह के हार्मोन भी रिलीज करता है जिसके कारण मांसपेशियों में दर्द, उल्टी,चक्कर आना, चक्कर आना, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, भ्रम आदि देखने को मिलते हैं।अगर फेफड़ों का कैंसर पहली स्टेज में पकड़ में आ जाए तो कीमोथेरेपी की मदद से मरीज को ठीक किया जा सकता है।
दूसरे चरण में फेफड़े का जो हिस्सा कैंसर की चपेट में होता है उसे ऑपरेशन के जरिए हटा दिया जाता है और मरीज को बचाया जा सकता है। तीसरी स्टेज में कॉम्बिनेशन ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, जिसमें कीमो के साथ-साथ ऑपरेशन और रेडिएशन ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। जाता है। चौथे चरण में सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी आदि से इलाज किया जाता है।
What's Your Reaction?